जब ऑटोमैटिक कारों की बात आती है तो सालों से फोक्सवैगन ने खुद के लिए एक नाम बनाया है, अपनी डीएसजी तकनीक की वजह से. यह भारत में कंपनी के लिए काफी काम की साबित हुई. हालांकि, प्रशंसकों के न चाहते हुए भी, इस साल, VW ने पोलो और वेंटो जैसी कारों में ज्यादा महंगे डीएसजी ऑटोमैटिक यूनिट को किफायती टॉर्क कनवर्टर से बदलने का फैसला किया. दिखने में, वेंटो ऑटोमैटिक मैन्युअल वेरिएंट के जैसी है जिसे हमने कुछ समय पहले चलाया था. केबिन में भी यही बात है, ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन के लिए नए गियर लीवर को छोड़कर इंटीरियर बिल्कुल नही बदला है. अगर आप अपने हाथों में बेहतर नियंत्रण चाहते हैं, तो कार में एक मैनुअल मोड भी दिया गया है. बस गियर लीवर को बाईं ओर धकेलें और आप टिपट्रॉनिक फ़ंक्शन का इस्तेमाल अपशिफ्ट और डाउनशिफ्ट करने के लिए कर सकते हैं. वेंटो शानदार सवारी और हैंडलिंग की पेशकश जारी रखती है, और ऑटोमोटिक ट्रांसमिशन ने इसको इस्तेमाल ज़्यादा आरामदेह बना दिया है. देखिए कार का रिव्यू.
Despite a tumultuous journey in recent seasons, Quartararo reaffirms his commitment to Yamaha, citing belief in their new approach and potential for success